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kaisii chalii ab ke havaa tere shahar me.n

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कैसी चली है अब के हवा, तेरे शहर में
बन्दे भी हो गये हैं ख़ुदा, तेरे शहर में

क्या जाने क्या हुआ कि परेशान हो गयी
एक लहज़ा रुक गयी थी सबा तेरे शहर में

कुछ दुश्मनी का ढब है न अब दोस्ती के तौर
दोनों का एक रंग हुआ तेरे शहर में

शायद उन्हें पता था कि ख़ातिर है अजनबी
लोगों ने उसको लूट लिया तेरे शहर में

Comments/Credits:

			 % Transliterator: U V Ravindra
% Credits: VS Rawat
		     
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