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kaise ko_ii jiye zahar hai zi.ndagii uThaa tuufaan

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कैसे कोई जिये -२
ज़हर है ज़िंदगी
उठा तूफ़ान वो
उठा तूफ़ान नाच के
सब बुझ गये दिये
कैसे कोई जिये

बादल हैं या धुआँ
आग़ लगी कहाँ
जलता न हो कहीं
मेरा ही आशियाँ
अन्गारे थे आँसू नहीं वो
दिल ने जो पिये

कैसे कोई जिये
ज़हर है ज़िंदगी
उठा तूफ़ान वो
उठा तूफ़ान नाच के
सब बुझ गये दिये
कैसे कोई जिये

तारे ना जानें
ऊँचाई गगन की
आँखें ना समझें
गहराई मन की -२
तारे ना जानें
प्यासे पपीहे ने
आस थी बाँधी
उड़ गये बादल
आ गई आँधी
ग़म ने जो छेड़ा
दिल ने हँसी से
होँठ सी लिये

कैसे कोई जिये
ज़हर है ज़िंदगी
उठा तूफ़ान वो
उठा तूफ़ान नाच के
सब बुझ गये दिये
कैसे कोई जिये

Comments/Credits:

			 % Song courtesy: http://www.indianscreen.com (Late Shri Amarjit Singh)
		     
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