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kahii.n beKayaal hokar yuu.N hii chhuu liyaa kisii ne

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कहीं बेख़याल होकर, यूँ ही छू लिया किसी ने - २
कई ख़्वाब देख डाले, यहाँ मेरी बेख़ुदी ने
कहीं बेख़याल होकर

मेरे दिल में कौन है तू, कि हुआ जहाँ अन्धेरा
वहीं सौ दिये जलाये, तेरे रुख़ की चाँदनी ने
कई ख़्वाब, कई ख़्वाब देख डाले यहाँ मेरी बेख़ुदी ने
कहीं बेख़याल होकर

कभी उस परी का कूचा, कभी इस हसीं की महफ़िल
मुझे दर-ब-दर फिराया, मेरे दिल की सादग़ी ने
कई ख़्वाब, कई ख़्वाब देख डाले यहाँ मेरी बेख़ुदी ने
कहीं बेख़याल होकर

है भला सा नाम उसका, मैं अभी से क्या बताऊं
किया बेकरार अक्सर, मुझे एक आदमी ने
कई ख़्वाब, कई ख़्वाब देख डाले यहाँ मेरी बेख़ुदी ने
कहीं बेख़याल होकर

अरे मुझपे नाज़ वालो, ये नयाज़मन्दियां क्यों
है यही करम तुम्हारा, तो मुझे न दोगे जीने
कई ख़्वाब, कई ख़्वाब देख डाले यहाँ मेरी बेख़ुदी ने
कहीं बेख़याल होकर

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Ravi Kant Rai (rrai@plains.nodak.edu)
% Editor: Anurag Shankar (anurag@astro.indiana.edu)
% Credits: Ravi G Marathe
		     
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