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kahaa.N tak ham uThaa_e.n Gam

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कहाँ तक हम उठाएं ग़म जियें अब या के मर जाएं
अरे ज़ालिम मुक़द्दर ये बता दे हम किधर जाएं

कहाँ तक हम ...

हम उनका नाम लेकर काट देंगे ज़िंदगी अपनी -२
न वो आएं मगर मिलने का कर वादा तो किधर जाएं -२

पपीहे से कहो गाये न वो नग़मे बहारों के -२
कहो गुलशन उजड़ जाए कहो कलियाँ बिखर जाएं -२

कहाँ तक हम ...

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Arunabha S. Roy
% Comments : LATAnjali series
		     
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