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kabhii Kaamosh rahate hai.n ... pii ke daras ko taras rahii.n a.nkhiyaa.N

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ल : कभी ख़ामोश रहते हैं
कभी हम आह भरते हैं
किसी के वास्ते क्या-क्या सितम
इस दिल पे करते हैं

जो वो नज़रों में नज़रें डाल कर
ख़ुद हम से ये पूछें
तो दिल पे हाथ रख कर
हम भी कह दें

male: क्या

ल : तुम पे मरते हैं

male: वाह वाह वाह
सुबहान अल्लाह

ल : पी के दरस को तरस रहीं अंखियाँ -२
( तरस रहीं अंखियाँ
बरस रहीं अंखियाँ ) -२
पी के दरस को तरस रहीं अंखियाँ

कोई क़दमों में उनके जा के
रख आये मेरे दिल को
के उनके सामने खुलती नहीं
ज़ालिम ज़बाँ मेरी

पी के दरस को तरस रहीं अंखियाँ -२
( तरस रहीं अंखियाँ
बरस रहीं अंखियाँ ) -२
पी के दरस को तरस रहीं अंखियाँ

किसी का हो के भी
उससे जुदा रहना ही पड़ता है
मोहब्बत ने दिया जो ग़म
वो ग़म सहना ही पड़ता है

कहाँ तक दर्द-ए-दिल कोई
छुपाये अपने सीने में
तड़प उठता है जब ये दिल
तो ये कहना ही पड़ता है

male: क्या

ल : पी के दरस को तरस रहीं अंखियाँ -२
( तरस रहीं अंखियाँ
बरस रहीं अंखियाँ ) -२
पी के दरस को तरस रहीं अंखियाँ

Comments/Credits:

			 % Song courtesy: http://www.indianscreen.com (Late Shri Amarjit Singh)
		     
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