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kabhii ba.ndhan ju.Daa liyaa

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हम ने तुम से तुम ने हमारा रिश्ता जोड़ा गम से
एक वफ़ा के सिवा कौन सी खता हुई थी हम से

कभी बंधन जुड़ा लिया कभी दामन छुड़ा लिया
ओ साथी रे
कैसा सिला दिया ये वफ़ा का कैसा सिला दिया
तेरे वादे वो इरादे
ओ साथी रे
सब कुछ भुला दिया ये वफ़ा का कैसा सिला दिया

बात कुछ समझ न आई कमी क्या हम में पाई
एक तरफ़ा ये मुहोब्बत हमीं ने सिर्फ़ निभाई
जाम चाहत का दे कर ज़हर नफ़रत का पिला दिया
तेरे वादे वो इरादे ...

उम्र भर सो ना सकेंगे किसी के हो न सकेंगे
अजनबी तुम हो जाओ गैर हम हो ना सकेंगे
किसी बेगाने की खातिर तुम ने अपनों को भुला दिया
तेरे वादे वो इरादे ...

अब मुझे जीना नहीं सनम ये ज़हर पीना नहीं सनम
जन्मों जन्मों का नाता चंद लम्हों में मिटा दिया
तेरे वादे वो इरादे ...

ओ मितवा रे

हम ने तुम से तुम ने हमारा रिश्ता जोड़ा गम से
एक वफ़ा के सिवा कौन सी खता हुई थी हम से

कभी बंधन जुड़ा लिया कभी दामन छुड़ा लिया
ओ साथी रे
कैसा सिला दिया ये वफ़ा का कैसा सिला दिया
तेरे वादे वो इरादे
ओ मितवा रे
सब कुछ भुला दिया ये वफ़ा का कैसा सिला दिया

मेरी यादों में तुम हो मेरी साँसों में तुम हो
मगर तुम जाने कैसी गलतफ़हमी में गुम हो
तुम्हारे घर को मंदिर देवता तुम को बना लिया
तेरे वादे वो इरादे ...

उम्र भर सो ना सकेंगे किसी के हो न सकेंगे
अजनबी तुम हो जाओ गैर हम हो ना सकेंगे
किसी बेगाने की खातिर तुम ने अपनों को भुला दिया
तेरे वादे वो इरादे ...

ओ मितवा रे

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