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kab yaad me.n teraa saath nahii.n

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खै : कब याद में तेरा साथ नहीं
दो : कब याद में तेरा साथ नहीं
कब हाथ में तेरा हाथ नहीं
सद-शुक़्र के अपनी रातों में
( सद-शुक़्र के अपनी रातों में
अब हिज़्र की कोई रात नहीं ) -२

ज : मैदान-ए-वफ़ा दरबार नहीं
याँ नाम-ओ-नतब की पूछ कहाँ
खै : मैदान-ए-वफ़ा दरबार नहीं
याँ नाम-ओ-नतब की पूछ कहाँ
आशिक़ तो किसी का नाम नहीं
दो : ( आशिक़ तो किसी का नाम नहीं
कुछ इश्क़ किसी की ज़ात नहीं ) -२

कब याद में तेरा साथ नहीं
कब हाथ में तेरा हाथ नहीं

खै : जिस धज से कोई मक़तल में गया
वो शान सलामत रहती है
ज : जिस धज से कोई मक़तल में गया
वो शान सलामत रहती है
खै : ( ये जान तो आनी-जानी है
दो : इस जाँ की तो कोई बात नहीं ) -२

कब याद में तेरा साथ नहीं
कब हाथ में तेरा हाथ नहीं

दो : ( गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है
जो चाहे लगा दो डर कैसा ) -२
गर जीत गये तो क्या कहना
( गर जीत गये तो क्या कहना
हारे भी तो बाज़ी मात नहीं ) -२

कब याद में तेरा साथ नहीं
कब हाथ में तेरा हाथ नहीं
सद-शुक़्र के अपनी रातों में
अब हिज़्र की कोई रात नहीं

Comments/Credits:

			 % Song courtesy: http://www.indianscreen.com (Late Shri Amarjit Singh)
		     
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