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kaalii ghaTaa chhaaii prem R^itu aaii

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काली घटा छाई, प्रेम ऋतु आई
आई आई आई आई तेरी याद आई
तुझे ढूँढे मेरे नैन
नहीं नींद, नहीं चैन
काली घटा छाई ...

यूँही नहीं चली आईं बहारें
फूल यूँही नहीं खिलें
कुछ तो है कारण, इतने युगों से
दो प्रेमी नहीं मिलें
छोटासा जीवन, लम्बी जुदाई, काली ...

पर्बत पर्बत गुलशन गुलशन
मेले मिलन के लगे
एक ही पल में नींद से जैसे
दर्द हज़ारों जगे
दिल की लगी ने ली अंगड़ाई, काली ...

बिरहा की काली रातों के
रंग से काजल बना
काजल मिल गया अँसुवन में तो
काला बादल बना
किस बादल ने आग लगाई, काली ...

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Surajit A. Bose
% Date: December 8, 2002
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