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jurm\-e\-ulfat pe hame.n log sazaa dete hai.n

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जुर्म-ए-उल्फ़त पे हमें लोग सज़ा देते हैं - २
कैसे नादान हैं, शोलों को हवा देते हैं
कैसे नादान हैं

हमसे दीवाने कहीं तर के वफ़ा करते हैं - २
जान जाये कि रहे बात निभा देते हैं
जान जाये...

आप दौलत के तराज़ू मैं दिलों को तौलें - २
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं
हम मोहब्बत से...

तख़्त क्या चीज़ है और लाल-ओ-जवाहर क्या है - २
इश्क़ वाले तो खुदाई भी लुट देते हैं
इश्क़ वाले ...

हमने दिल दे भी दिया एहद-ए-वफ़ा ले भी लिया - २
आप अब शोख से देदें जो सज़ा देते हैं
जुर्म-ए-उल्फ़त पे हमें लोग सज़ा देते हैं

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Ravi Kant Rai (rrai@plains.nodak.edu)
		     
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