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jigar kii aag se is dil ko jalataa dekhate jaao

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जिगर की आग से इस दिलको जलता देखते जाओ
लुटी जाती है अर्मानों की दुनिया देखते जाओ

लगी है आग दिल में आँख से आँसू बरसते हैं
भरी बरसात में इस घर को जलता देखते जाओ

इसी दिन के लिए बोलो तुम्हें क्या हमने चाहा था
कि हम बरबाद हों और तुम तमाशा देखते जाओ

बहा कर ले चली हैं ग़म की मौजें दिल की कश्ती को
हमारे डूब जाने का नज़ारा देखते जाओ

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Rajiv Shridhar (rajiv@hendrix.coe.neu.edu)
% Date: Sun Aug 20, 1995
% Credits: Snehal Oza (snehal@wipro.wipsys.soft.net)
%          Urzung Khan
% Editor: Rajiv Shridhar (rajiv@hendrix.coe.neu.edu)
		     
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