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jay bholenaath jay ho prabhu

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जय भोलेनाथ जय हो प्रभु सबसे जगत में ऊँचा है तू
इस दर से छोटा-बड़ा कोई न खाली गया
पर खाली है आँचल मेरा

हर दाग़ धुलता है यहाँ हर भाग्य खुलता है यहाँ
हर अंग खिलता यहाँ
अरे मैं भी उसी दर पे आया बनती सबकी बिगड़ी जहाँ
झूठा ज़मीं-आसमाँ मेरा तो सब कुछ यहाँ
अब मैं जाऊँ कहाँ
अब आस मालिक तू ही
जय भोलेनाथ ...

कहीं चैन मुझे मिलता नहीं हाँ मिलता नहीं
अरे दिन के उजाले में खोया मेरे दिल का टुकड़ा कहीं
मुझे भी तेरी छाँव न मुल्क़ माँगूँ न गाँव
दे-दे मेरे बच्चे को पाँव
जय भोलेनाथ ...

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