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jalavaaGaah\-e\-dil me.n marate hii andheraa ho gayaa - - Saigal

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जलवाग़ाह-ए-दिल में मरते ही अन्धेरा हो गया
जिसमें थे जलवे तेरे, वो आइना क्या हो गया

फिर तसव्वुर ने बढ़ा दी नाला-ए-मौजों की लय
फिर फ़िज़ा-ए-दर्द में इक शेर पैदा हो गया

बिरहमन कहता था अनहद, शेख़ बोल उठा अहद
नुक़्तारस दोनों न थे, आपस में झगड़ा हो गया

नज्द के हिरणों से ऐजाज़-ए-मुहब्बत पूछिये
पड़ गई जिस पर निगाह-ए-क़ैस लैला हो गया

रफ़्ता-रफ़्ता खो गये गर्दिश में जलवे सैंकड़ों
दिल मेरा सीमाब इक आइना-ख़ाना हो गया

Comments/Credits:

			 % Transliterator: K Vijay Kumar
% Credits: Urzung Khan
		     
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