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jab miyaa biivii me.n takaraar hotii hai

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मो : जब मिया बीवी में तकरार होती है
मियां बाहर होता है बीवी अन्दर सोती है
अनु : ऐसा ही होता है जब तकरार होती है
मियां बाहर होता है बीवी अन्दर होती है

मो : खिड़की खोल खोल दरवाज़ा
गुस्सा ना कर बाहर आ जा
जैसे कहे मैं तुझे मनाऊँ
तेरे नखरे सभी उठाऊँ
सारी पिछली बातें भुला दे
पूरे करूँगा सारे वादे
मेरा कब इन्साफ़ करेगी
कब तू मुझको माफ़ करेगी
अनु : जान बूझ के जब ऐसी तक़रार होती है
समझाने की हर कोशिश हाँ यूँ बेकार होती है

ऐसे शौहर से तंग आई
कभी मोहब्बत कभी लड़ाई
जानूं मैं सब तेरे इरादे
झूठे हैं सब तेरे वादे
तूने कितना मुझे सताया
तूने कितना मुझे रुलाया
इक इक बात का बदला दूँगी
फिर मैं तुझसे माफ़ करूँगी
मो : नोक झोंक तो प्यार में सौ बार होती है
प्यार और बढ़ता है जब तक़रार होती है

बाहर गुस्सा अन्दर प्यार
अनु : तौबा मैं गई तुमसे हार
मो : अब ना होगी कभी लड़ाई
अनु : तब न होगी कभी जुदाई
मो : एक दूजे पे जान लुटाएं
अनु : अब हम साथ जिएं मर जाएं
दोनों : प्यार में किसी की जीत ना तो हार होती है
प्यार भरे तक़रार की मंज़िल तो प्यार होती है
मो : मियां अन्दर होता है
अनु : बीवी भी अन्दर होती है

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