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jaane kaise kab kahaa.N iqaraar ho gayaa

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जाने कैसे कब कहाँ इक़रार हो गया
हम सोचते ही रह गए और प्यार हो गया (२)

गुलशन बनीं गलियाँ सभी
फूल बन गए कलियाँ सभी (२)

लगता है मेरा सेहरा तय्यार हो गया
हम सोचते ...

तुमने हमे बेबस किया
दिल ने हमे धोखा दिया
उफ़ तौबा जीना कितना दुश्वार हो गया
हम सोचते ...

हम चुप रहे कुछ न कहा
कहने को क्या बाक़ी रहा
बस आँखों ही आँखों में इक़रार हो गया

Comments/Credits:

			 % Credits: C. S. Sudarshana Bhat (cesaa129@utacnvx.uta.edu)
%          Venkatasubramanian K Gopalakrishnan (gopala@cs.wisc.edu)
%          Preetham Gopalaswamy (preetham@src.umd.edu)
% Editor: Anurag Shankar (anurag@astro.indiana.edu)
		     
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