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ishq me.n jalate rahe kal jo charaaGo.n kii tarah - - Bhupinder

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इश्क़ में जलते रहे कल जो चराग़ों की तरह
ज़िंदगी उनकी है मंज़िल के सुराग़ों की तरह

अश्क़ आँखों में चमकते हैं सितारे बन कर
और जम जाते हैं पलकों पे ये दाग़ों की तरह

मैं भी इक ताजमहल अपना बनाऊँगा कभी
सोचता रहता हूँ शाहों के दिमाग़ों की तरह

उसने दानिस्ता अंधेरों में मुझे रखा है 'हमीद'
मैं भी जलता रहा हसरत से चराग़ों की तरह

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