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ishq kaa zarf aazamaa.N to sahii - - Ghulam Ali

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इश्क़ का ज़र्फ़ आज़माँ तो सही
तू नज़र से नज़र मिला तो सही

मिल ही जायेगा ज़िंदगी का सुराग़
दोस्तों के फ़रेब खा तो सही

दिल को तस्कीं न हो तो मैं ज़ामिन
तू कभी मयकदे में आ तो सही

ज़ीस्त अश्क़ों में ढल न जाये कहीं
दोस्त इक बार मुस्करा तो सही

ज़िंदगी को सम्भालने वाले
तू कभी पी के लड़खड़ा तो सही

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