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ho.nTho.n pe jaan chalii aa_egii

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होंठों पे जान चली आएगी
नैनों में नींद नहीं आएगी
रैना नहीं ये नागिन है
ऐसा लगे हम दोनों को ये इक साथ डस जाएगी

तेरी आधी जागी आधी सोई सोई आँखें
ऐसे पलकों के झरोखों से झाँके
जैसे मेरी तू दुल्हन है
ऐसा है तो मेरे सपनों की सूनी सेज सज जाएगी

कोई दूजा नहीं खाली घर लगता है
खालि घर में भी थोड़ा डर लगता है
दुनिया दिलों की दुशमन है
ऐसे हमें किसी ने जो देखा तो कहानी बन जाएगी

तुझे इस नैनों वाली डोली में बिठा दूँ
अंग छूके कली से मैं फूल बना दूँ
ये लट मगर एक उल्झन है
तू ही बता किसे मेरी प्रीत भला कैसे सुलझ आएगी

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Arunabha S Roy
% Date: 5 Aug 2004
% Series: GEETanjali
% generated using giitaayan
		     
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