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ho aa_ii re dulhaniyaa sun ke mere dil kii pukaar

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हो आई रे दुल्हनिया सुन के मेरे दिल की पुकार
दिल ने जब दी सज़ा कैसे रुकती भला
खींच लाया है बचपन का प्यार
हो आई रे दुल्हनिया ...

आज मन ये कहे नाच लो झूम लो
घर आई है दुल्हनिया बढ़ के मुंह चूम लो
सच्चे इकरार से अपने एक प्यार से
सारी दुनिया गई आज हार
आई रे दुल्हनिया ...

तेरी आवाज़ पर दिल यूं मचला के हम
भूल बैठे ज़माने के सारे सितम
राह में जल उठे आरज़ू के दिये
आ गई करके सोलह श्रृंगार
हो आई रे दुल्हनिया ...

कहां जाती है तू हमसे मुंह मोड़ कर
प्यार को यूं तड़पता हुआ छोड़ कर
आज लाखों दिलों की है तुझ पे नज़र
एक तेरा फ़ैसला था इधर या उधर
लैला और मजनूं की कहानी भी खत्म हो जायेगी ज़माने से
हीर रांझा को जहां वाले भूल जाएंगे तेरे जाने से
शीरी फ़रहाद की कसम तुझको
प्यार तेरा भी है और मेरा भी है दो दिलों का ये मासूम इकरार है
बाआदशाहों ने दुनिया में जिसके लिए ताज ठुकरा दिये वो प्यार है
प्यार हमसे हो रुसवा न कर ये सितम
रोक ले अपने बढ़ते हुए कदम

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