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he ambike jagadambike he maa.N

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( हे अम्बिके! जगदम्बिके! हे माँ!
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ) -२

महिषासुर के अत्याचारों से धरती का जन मन डोला
ऋषि मुनियों का आसन डोला और स्वर्ग का इंद्रासन डोला
तब सभी देवताओं ने मिल कर शक्ति एक बनाई थी
वो शक्ति ही अवतार बनी जो माँ दुर्गा कहलाई थी

थी सभी लगी जगमगा रही थी
माता दसों दिशाओं में
तलवार चक्र धनुष और त्रिशूल सब
सजे थे आठ भुजाओं में
तब देव मुनि गिर पड़े सभी
पग में आनंद भैरवी के
हे मात भवानी हम सबकी
तू रक्षा कर महिषासुर से

माँ ने जब करुण पुकार सुनी
शीतल नैना अंगार हुये
केशों को और बिखेर लिया
तलवार त्रिशूल सँभाल लिये
खप्पर ले कर वो चामुण्डा
इत छोर कभी उत छोर चली
वो सत्य की रक्षा करने को
आँधी बनकर झकझोर चली

हे अम्बिके! जगदम्बिके! हे माँ
हे अम्बिके!, हे शिवा भवानी माँ
हे अम्बिके! भगवती भवानी माँ
हे अम्बिके! जगदम्बिके! हे माँ

Comments/Credits:

			 % Credits: Animesh Kumar
		     
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