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havaa se motii baras rahe hai.n

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हवा से मोती बरस रहे हैं
फ़ज़ा तराने सुना रही है
दगर डगर है तमाम सह्रा
कली कली मुस्कुरा रही है

जहां की हर शाम एक देवी
जहां की हर सुभा एक रानी
जहां बरस्ता है रन्ग धानी
उधर मुड़ी है मेरी जवानी
हर एक साग़र खनक रहा है
हर एक शै गुन्गुना रही है

मेरे मचल्ते हुए लहू मेन
ख़ुशी का दरिया उबल रहा है
कली मेरे दिल की खिल रही है
बताओ फूलो ये बात कया है
ये कौन मेरी तरफ़ बढ़ा है
ये किस की आवाज़ आ रही है

तमाम जन्गल महक रहा है
ह्या से पिन्डा दहक रहा है
दुपट्टा सर से ढलक रहा है
पयाला जैसे छलक रहा है
ये दिल अरे क्यों धड़क रहा है
ये शर्म क्यों मुझ को आ रही है

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