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har na_ii raat ... mat chhe.D zi.ndagii ke Kaamosh taar

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त: हर नयी रात, नया ददर् लिये आती है
नींद आँखों से, बहुत दूर हुई जाती है

मत छेड़ ज़िंदगी के खामोश तार सो जा
दिल-ए-बेक़रार सो जा-२

तारे चमक के अपनी मंज़िल को जा रहे हैं-२
मंज़िल की याद में हम आँसू बहा रहे हैं-२
हर रात कह रही है, अए अश्क़्बार सो जा
दिल-ए-बेक़रार सो जा ...

ल: ओ~~~ ओ~~ ओ~~~
नज़रें चुराने वाले नज़रें ज़रा उठाना, नज़रें ज़रा उठाना
सीखा कहाँ से तूने उल्फ़त में दिल जलाना, उल्फ़त में दिल जलाना
ओ दिल जलाने वाले, कहता है प्यार सो जा
दिल-ए-बेक़रार सो जा ...

Comments/Credits:

			 % Transliterator: K Vijay Kumar
% Date: April 30, 1998
% Comments: LATAnjali series
		     
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