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har ek ra.nj me.n raahat hai aadamii ke liye - - Bhupinder

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हर एक रंज में राहत है आदमी के लिये
पयाम-ए-मौत भी मुजदा है ज़िंदगी के लिये

चमन में फूल भी हर एक को नहीं मिलते
बहार आती है लेकिन किसी किसी के लिये

हमारी ख़ाक को दामन से झाड़ने वाले
सब इस मक़ाम से गुज़रेंगे ज़िंदगी के लिये

उन्हीं के शीशा-ए-दिल चूर चूर हो के रहें
तरस रहे थे जो दुनिया में दोस्ती के लिये

ये सोचता हूँ ज़माने को क्या हुआ या रब
किसी के दिल में मुहब्बत नहीं किसी के लिये

हमारे बाद अंधेरा रहेगा महफ़िल में
बहुत चराग़ जलाओगे रोशनी के लिये

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