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ham to hai.n parades me.n, des me.n nikalaa hogaa - - Jagjit Singh

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हम तो हैं परदेस में, देस में निकला होगा चांद - २
अपनी रातकी छत पर कितना, तनहा होगा चांद हो ओ ओ
हम तो हैं परदेस में, देस में निकला होगा चांद ...

जिन आँखों में काजल बन कर तैरी काली रात हो - २
उन आँखों में आँसू का एक कतरा होगा चांद हो
हम तो हैं परदेस में, देस में निकला होगा चांद ...

रात ने ऐसा पेच लगाया, टूटी हाथ से डोर हो - २
आँगन वाले नीम में जाकर अटका होगा चांद हो
हम तो हैं परदेस में, देस में निकला होगा चांद ...

चांद बिना हर दिन यूँ बीता जैसे युग बीतें हो - २
मेरे बिना किस हाल में होगा, कैसा होगा चांद हो
हम तो हैं परदेस में, देस में निकला होगा चांद ...
अपनी रातकी छत पर कितना, तनहा होगा चांद हो ओ ओ
हम तो हैं परदेस में, देस में निकला होगा चांद ...

Comments/Credits:

			 % Credits: rec.music.indian.misc (USENET newsgroup) 
%          Naveen Shetty (shetty@watson.ibm.com)
%          C.S. Sudarshana Bhat (ceindian@utacnvx.uta.edu)
% Editor: Anurag Shankar (anurag@astro.indiana.edu)
		     
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