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haath ba.Dhaae chaa.Nd ko ... aahe.n ta.Dap rahii hai.n

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हाथ बढाए चाँद को प्यार Bअड़ा नादान
दिल को सूना कर गए दो दिन के मह्मान

आहें तड़प रही हैं आँसू निकल रहे हैं-२
फूलों की आर्ज़ू में काँतों पे चल रहे हैं-२

तक़्दीर मुझसे तेरा दामन छुड़ा रही है-२
मंज़िल पे आके राही रस्ते बदल रहे हैं-२

अंजाम क्या यही था ओ बेवफ़ा ज़माने-२
आँखें बिछाने वाले आँखें बदल रहे हैं-२

आहें तड़प रही हैं आँसू निकल रहे हैं

Comments/Credits:

			 % Transliterator:Pulkit Sharma(pulkit_sadabahar@yahoo.com)
% Date:20th december 2003
% Series:NOOR-E-TARANNUM
		     
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