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Guzar na jaaye ye Kaab saa safar

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के : ग़ुज़र न जाये ये ख़ाब सा सफ़र -२
सब कुछ सिमट के आया है सिर्फ़ एक पल में
बाँहों में थाम लो तुम ये फिर मिले ना मिले
ग़ुज़र न जाये -२

कह दियाँ है आज आख़िर तुमसे
जो छुपाये हम रहे गुमसुम से
इससे पहले बंट ही जायें रस्ते
अपने भी दिल की कहो कुछ हमसे
तुम्हारी जो ख़मोशी है
कहानियाँ सी कहती है
तुम्हारी जो तमन्ना है
वो मुँह छुपाये रहती है

सब कुछ सिमट के आया है सिर्फ़ एक पल में
बाँहों में थाम लो तुम ये फिर मिले ना मिले
ग़ुज़र न जाये ये ख़ाब सा सफ़र
ग़ुज़र न जाये
न जाये
हे ए

श्रे : पूछते हो हाल मेरे दिल का
होश है ना राह ना मंज़िल का
ये बदन में क्या पिघलटा जाये
एक नशा हो जैसे हल्का हल्का
सफ़र ये ख़तम न हो
राहें ये कभी कम न हो
मिले या न मिले मंज़िल
बिछड़ने का ग़म न हो

के : सब कुछ सिमट के आया है सिर्फ़ एक पल में
श्रे : बाँहों में थाम लो तुम ये फिर मिले ना मिले
ग़ुज़र न जाये ये ख़ाब सा सफ़र
ग़ुज़र न जाये
न जाये
के : ये

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