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ghar se masjid hai bahut duur

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घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो, यूँ कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये
घर से मस्जिद है बहुत दूर ...

हम्सफ़र तो कोई वक़्त के वीराने में - २
सूनी आँखों में - २
कोई ख्वाब सजाया
घर से मस्जिद है बहुत दूर ...

रोशनी की भी हिफ़ाज़त है इबादत की तरह - २
बुझते सूरज से -२
चाराग़ों को जलाया जाये
घर से मस्जिद है बहुत दूर ...

ग़म अकेला है तो साँसों को सताता है बहुत - २
दर्द को दर्द का -२
हम्दर्द बनाया जाये
घर से मस्जिद है बहुत दूर ...

Comments/Credits:

			 % Transliterator: K Vijay Kumar
% The first sher (mukha.Daa) is by Mirza Ghalib
		     
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