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Gam\-e\-hastii se bas begaanaa hotaa

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ग़म-ए-हस्ती से बस बेगाना होता
ख़ुदाया काश मैं दीवाना होता
ग़म-ए-हस्ती से बस बेगाना

(चली आती क़यामत अंजुमन में)-२
गुलों को आग लग जाती चमन में
अलग बैठा
अलग बैठा कोई मस्ताना होता
ख़ुदाया काश मैं दीवाना होता
ग़म-ए-हस्ती से बस बेगाना

जो देखा है सुना है ज़िंदगी में
वो बनके दर्द रह जाता ना जी में
फ़क़त एक ख़्वाब
फ़क़त एक ख़्वाब एक अफ़साना होता
ख़ुदाया काश मैं दीवाना होता
ग़म-ए-हस्ती से बस बेगाना

(उसी दीवानगी में बेख़ुदी में)-२
न खुलती आँख सारी ज़िंदगी में
सदा ग़र्दिश में
सदा ग़र्दिश में इक पैमाना होता
ख़ुदाया काश मैं दीवाना होता
ग़म-ए-हस्ती से बस बेगाना होता
ख़ुदाया काश मैं दीवाना होता

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Animesh Kumar
% series: Rafi Veritable Gems
% date: apr 26, 2003
		     
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