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duniyaa ko chho.D ke

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अमित: (दुनिया को छोड़ के, रस्मोँ को तोड़ के
आजा चलें दूर कहीं, ये प्यार की मंज़िल नहीं
डरना भला क्या है संसार से
ताक़त बड़ी कोई ना प्यार से
आ मेरि जाँ बाहों में आ) -२
दुनिया को छोड़ के, रस्मों को तोड़ के

अमित: (तुम जो मिले तो, संग संग चले तो, सपने संवर गये
अल्का: रंगों में ढल के, ख़ुशियों के पल ये, दामन में भर गये)
-२
अमित: डरना भला क्या ...

अल्का: (जब कोई यार करता है प्यार जलता है क्यूं जहाँ
अमित: हमने पढ़ी है, तुमने सुनी है, ज़ुल्मों की दास्ताँ) -२
अल्का: डरना भला क्या ...

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Amit Malhotra
% Date: Dec 22, 2002
		     
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