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do gha.Dii vo jo paas aa baiThe

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रफ़ी : दो घड़ी वो जो पास आ बैठे
हम ज़माने से दूर जा बैठे

आशा : दो घड़ी वो जो पास आ बैठे
हम ज़माने से दूर जा बैठे

रफ़ी : (भूल की उनका हम्नशीं हो के
रोयेंगे दिल को उम्र भर खो के) - २
हाय! क्या चीज़ थी गँवा बैठे

आशा : (दिलको एक दिन ज़रुर जाना था
वही पहुँचा जहां ठिकाना था ) - २
दिल वही दिल जो दिल में जा बैठे

रफ़ी : (एक दिल ही था ग़मगुसार अपना
मेहरबां, खास राज़दार अपना ) - २
गैर का क्यों इसे बना बैठे

आशा : (गैर भी तो कोई हसीं होगा
दिल यूँ ही दे दिया नहीं होगा ) - २
देख कर कुछ तो दिल लगा बैठे

दो घड़ी वो जो पास आ बैठे
हम जमाने से दूर जा बैठे

Comments/Credits:

			 % Credits: Abhay Avachat (avachat@sun7.mch.sni.de)
% Editor: Anurag Shankar (anurag@astro.indiana.edu)
		     
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