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dil hii to hai ta.Dap gayaa

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दिल ही तो है तड़प गया दर्द से भर न आये क्यों
रोयेंगे हम हज़ार बार कोई हमें सताये क्यों

रोते हुए गुज़ार दी जिस ने तमाम ज़िंदगी
उस को हँसी से काम क्या कोई उसे हँसाये क्यों

ऐ मेरे बदनसीब दिल देख ये तेरी भूल है
तू तो ख़िज़ा का फूल है तुम से बहार आये क्यों

आँखों में आँसू दिल में ग़म जीने को जी रहे हैं हम
मौत से पहले ज़िंदगी ग़म से निजात पाये क्यों

Comments/Credits:

			 % Transliterator: K Vijay Kumar
% Comments: Is "inspired" in large part by Ghalib's 
%           dil hi to hai na sang-o-khisht
%           Talat's version in Mirza Ghalib and Chitra Singh's in the
%           TV series are both worth a hear
		     
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