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des kii purakaif ra.ngii.n sii fizaa_o.n me.n kahii.n

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देस की पुरकैफ़ रंगीं सी फ़िज़ाओं में कहीं -३
नाचती-गाती-महकती सी हवाओं में कहीं -२
एक शहज़ादे को आई एक शहज़ादी नज़र -२
जिसको बढ़ते देख शहज़ादी ने भी डाली नज़र -२

नौजवाँ थे दोनों वो
नौजवाँ थे दोनों वो और धकड़नें उनकी जवाँ
गोया कमसिन देवता के खेलने का था मकाँ
सामना होते ही बस एक तीर से घायल हुये
जैसे दोनों इश्क़ के दरबार में सायल हुये
फिर मुलाकातें बढ़ीं और प्यार ने अंगड़ाई ली
ज़िंदगी भर साथ देने की क़सम खाई गई -२

एक दिन कश्ती में बैठे राज़-ए-दिल कहते चले
उभरी उभरी शोख़ लहरों पर वो यूँ गाते चले
के अचानक छाये बादल ज़ोर का तूफ़ाँ उठा
घिर गई कश्ती भंवर में काँप उनका दिल गया
ज़ोर मौजों में हवा का शोर ऐसा पुर-ख़तर
दोनों थे सहमें के जैसे मौत आती हो नज़र
बेमदद मझधार में वो ख़ौफ़ से जकड़े हुये
थी जवानी को जवानी इस तरह पकड़े हुये -२

आया एक ज़ालिम थपेड़ा काँपा शहज़ादे का हाथ
गिर गई पानी में शहज़ादी चुटा दोनों का साथ
हाँ चुटा दोनों का साथ
छाया आँखों में अंधेरा उसपे बिजली सी गिरी
टूटा शहज़ादे का दिल रू भर हुई अब ज़िंदगी
उम्र भर वो साथ देने की क़सम आ गई
कूद कर पानी में उसने भी वहीं पर जान दी

ऐ अदीब उनका जहाँ से मिट गया नाम-ओ-निशाँ
ख़त्म होती है यहाँ पर दो दिलों की दास्ताँ -२

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