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champa_ii dhuup ke saaye baa.Nho.n me.n simaT aaye hai.n

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चम्पई धूप के साये

(harmony)

चम्पई धूप के साये
बाहों में सिमट आये हैं
बहने लगे हैं शिरयानों में
बड़ा रंगीं लगता है
फिर भी ग़मगीं लगता है

(harmony)

छाँव छोड़ के धूप में चलना
छाँव छोड़ के धूप में चलना
धूप सदा रहती भी नहीं
यूँ भी कभी तो होता होगा
गुनाह हसीं लगता है
फिर भी, ग़मगीं लगता है

(harmony)

Comments/Credits:

			 % Contributor: Vinay P Jain
% Transliterator: Vinay P Jain
% Date: 11 Jun 2003
% Series: GEETanjali
% generated using giitaayan
		     
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