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chalii pii ke nagar saj ke dulhan

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चली पी के नगर सजके दुल्हन
मैके में जी घभरावत है
अब साँचे नगर को जाना है
ये झूठा नगर कहलावत है

झूले पीपल अमुवा छाँव
पनघट मेले गलियाँ गाँव
बाबुल मैया सखियाँ अंगना
सब छोड के गोरी जावत है

दिल थम थम ऐसे धड़कत है
रह-रह के दिया ज्यों धड़कत है
मन तड़पत भी है मिलने को
और लाज भी मन को आवत है

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			 % Date: January 11, 2002
		     
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