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biga.D biga.D ke banii thii qismat ... uja.Dii re

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बिगड़ बिगड़ के बनी थी क़िस्मत
बन बन के फिर बिगड़ी -२

उजड़ी रे
उजड़ी रे मेरे प्यार की दुनिया उजड़ी -२
उजड़ी रे

मेरे मन की आशाओं ने इक तसवीर बनाई -२
तसवीर मिटा दी दुनिया ने तक़दीर बनी और बिगड़ी
उजड़ी रे ...

दिल को लगन है जिसकी नहीं क़िस्मत में मुहब्बत उसकी -२
बुल-बुल से है फूल जुदा और फूल से बुल-बुल बिछड़ी
उजड़ी रे ...

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Hrishi Dixit
% Comments:LATAnjali 
% Date:3 March,2001
		     
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