Browse songs by

bahut din hu_e ... samaa alabelaa

Back to: main index
View: Plain Text, हिंदी Unicode, image


महेंद्र:
बहुत दिन हुए तारों के देश में
चंदा की नगरिया में रहते थे इक राजा
बज रहा था दूर दूर उनकी जय का बाजा
बैठे थे पर्तापी राजा वैसे उनकी रानी
जैसा रूप रंग पाया वैसी ग़्यानी दानी
दोनों की दुलारी इक बितिया थी प्यारी
फूल जैसी नाज़ुक थी वो नाम था फूल कुमारी

अंधी तक़दीर ने अंधेर किया भारी
छीनी उसके होंठों से हँसी वो प्यारी प्यारी
फूल कुमारी भूल गई हँसना मुस्कुराना
लूट लिया भाग ने ख़ुशी का वो खज़ाना

मगर ये कौन, ये कैसी आवाज़ ?

मन्ना:
लेके दिल का साज़ हम गीत गाने आ गये
हे, दिल के कलियों ने कहा दिन सुहाने आ गए

ग़म के बादल हट गए खुल गया नीला गगन
हर कली को प्यार से छू गई सूरज किरन
मुस्कुरा लो झूम लो ओ ज़माने आ गये
लेके दिल का साज़ हम गीत गाने आ गए

लता:
समा अलबेला दिन हैं मिलन के
प्रीत लेके आए देखो मीत मेरे मन के

पिया-पिया गाये जिया नाचे मन मोरा
मेरी उनकी जोड़ी जैसे चाँद और चकोरा
नैनों में छुपाये फिरूँ सपने सजन के
समा अलबेला ...

जिन्हें मैंने दिल दिया वो भी रहे मेरे
मन में मनाऊँ मैं साँझ और सवेरे
जीते जी न टूटेगी ये बंधन जीवन के
समा अलबेला ...

महेंद्र:
जैसे उनके अछे दिन फिर से लौट आए
मालिक ऐसे सबकी सुने सबके दिन लौटाए

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Arunabha S Roy
% Date: 14 Sep 2004
% Series: LATAnjali
% generated using giitaayan
		     
View: Plain Text, हिंदी Unicode, image