Browse songs by

baGair tere ko_ii din raat na jaane mere - - Ghulam Ali

Back to: main index
View: Plain Text, हिंदी Unicode, image


बग़ैर तेरे कोई दिन रात न जाने मेरे
तू कहाँ है मगर ऐ दोस्त पुराने मेरे

शमा की लौ थी कि वो था मगर हिज्र की रात
देर तक रोता रहा कोई सिरहाने मेरे

तू भी ख़ुश्बू है मगर मेरा तजस्सुस बेकार
बर्ग़-ए-आवारा की मानिंद ठिकाने मेरे

ख़ल्क़ की बे-ख़बरी है कि मेरी रुस्वाई
लोग मुझको ही सुनाते हैं फ़साने मेरे

आज इक और बरस बीत गया उनके बग़ैर
जिसके होते हुये होते थे ज़माने मेरे

चारागर यूँ तो बहुत हैं मगर ऐ जान-ए-'फ़राज़'
बग़ैर तेरे कोई हालात न जाने मेरे

View: Plain Text, हिंदी Unicode, image