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baad muddat ke ham\-tum mile ... kaash

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कि: humming
बाद मुद्दत के हम-तुम मिले
मुड़ के देखा तो हैं फ़ासले
चलते-चलते ठोकर लगी
यादें वादे आवाज़ देते न काश -२

को: काश -२
कि: बाद मुद्दत के हम-तुम मिले
मुड़ के देखा तो हैं फ़ासले
चलते-चलते ठोकर लगी
यादें वादे आवाज़ देते न काश

फूल बन कर जो चुभते रहे
ऐसे काँटों को क्या नाम दें
ग़ैर होते तो हम सोचते
कैसे अपने को इल्ज़ाम दें
शिक़वा हमसे होगा नहीं
भूली बिसरी राहों में मिलते न काश

प्यार ही प्यार था हर तरफ़
कल थे लोगों की आँखों का नूर
आज कोई नहीं देखता
क्या हुआ हमसे ऐसा क़ुसूर
ऐसा होगा सोचा न था
धीरे-धीरे हम ही बदल जाते काश

को: काश -२
कि: humming
बाद मुद्दत के हम-तुम मिले
मुड़ के देखा तो हैं फ़ासले
चलते-चलते ठोकर लगी
यादें वादे आवाज़ देते न काश -२

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