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baabul kaa ghar chho.D ke gorii

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बाबुल का घर छोड़ के गोरी
हो गई आज पराई रे
डोली देख जियारा डोले
आँख नीर भर आई रे

( न्यारी जग की रीत री सखियाँ
कौन किसी का मीत री सखियाँ ) -२
झूठी सबकी (?)
किसने प्रीत निभाई रे

बाबुल का घर छोड़ के गोरी
हो गई आज पराई रे
डोली देख जियारा डोले
आँख नीर भर आई रे

जिन गलियों में बचपन बीता
खोली आँख जवानी ने
उन गलियों से किया किनारा
सखियों की पटरानी ने
भईया का मन भर-भर आये
रोत चली मा जाई रे

बाबुल का घर छोड़ के गोरी
हो गई आज पराई रे
डोली देख जियारा डोले
आँख नीर भर आई रे

पी के प्यार में खो कर गोरी
हमको भूल ना जाना
रोज़ नहीं तो कभी-कभी
दो अक्शर लिख भिजवाना
धीरे-धीरे मधुर सुरों में
यही कहे शहनाई रे

( बाबुल का घर छोड़ के गोरी
हो गई आज पराई रे
डोली देख जियारा डोले
आँख नीर भर आई रे ) -२

Comments/Credits:

			 % Song courtesy: http://www.indianscreen.com (Late Shri Amarjit Singh)
		     
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