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apanii zulfe.n mere shaano.n pe bikhar jaane do

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अपनी ज़ुल्फ़ें मेरे शानों पे बिखर जाने दो
आज रोको न मुझे हद से गुज़र जाने दो
अपनी ज़ुल्फ़ें मेरे शानों पे बिखर जाने दो

तुम जो आये तो बहारों पे शबाब आया है
इन नज़ारों पे भी हल्का सा नशा छाया है
अपनी आँखों का नशा और भी बढ़ जाने दो

अपनी ज़ुल्फ़ें मेरे शानों पे बिखर जाने दो
आज रोको न मुझे हद से गुज़र जाने दो
अपनी ज़ुल्फ़ें मेरे शानों पे बिखर जाने दो

को : सरगम

सुर्ख़ होंठों पे गुलाबों का ग़ुमाँ होता है
ऐसा मन्ज़र हो जहाँ होश कहाँ रहता है
ये हसीं होंठ मेरे होंठों से मिल जाने दो

अपनी ज़ुल्फ़ें मेरे शानों पे बिखर जाने दो
आज रोको न मुझे हद से गुज़र जाने दो
अपनी ज़ुल्फ़ें मेरे शानों पे बिखर जाने दो

Comments/Credits:

			 % Credits: Afzal A Khan
		     
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