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apanii kaho kuchh merii suno

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ल: अपनी कहो कुछ मेरी सुनो
क्या दिल का लगाना भूल गए, क्या भूल गए
त: रोने की आदत ऐसी पड़ी
हँसने का तराना भूल गए, हाँ भूल गए

ल: काली रातें बीत गईं
फिर चाँदनी रातें आई हैं -२
त: दिल में नहीं उजियाला मेरे
ग़म की घटाएं छाई हैं -२
ल: प्रीत के वादे याद करो
क्या प्रीत निभाना भूल गए, क्या भूल गए

त: भूला हुआ है राह मुसाफ़िर
बिछड़ा हुआ है मंज़िल से -२
ल: खोए हुए रस्ते का पता
तुम पूछ लो ख़ुद अपने दिल से -२
त: चलते चलते ऐसे थके
मंज़िल का ठिकाना भूल गए, हाँ भूल गए

ल: नज़्दीक आओ, नज़्देएक आ ...
यह मौसम नहीं फिर आने का -२
त: नज़्दीक शमा के जाने से
क्या हाल हुआ पर्वाने का -२
ल: मिटने का फ़साना याद रहा
जलने का फ़साना भूल गए, क्या भूल गए
अपनी कहो कुछ मेरी सुनो
क्या दिल का लगाना भूल गए, क्या भूल गए

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Rajiv Shridhar 
% Date: 10/26/1996
		     
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