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allaah hii allaah kar pyaare bha_ii

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अल्लाह ही अल्लाह कर प्यारे भई अल्लाह ही अल्लाह
ओ ठंडी आहें ( न भर प्यारे ) -३
अल्लाह ही अल्लाह कर ...

मौला ही मौला

कोई ऐसी रात नहीं है जिसका होता नहीं सवेरा
( काँटों का दुख ) -२ झेलने वाले फूलों पर भी हक़ है तेरा
( सुख दे चाहे दुख दे दाता ) -२ हँस के झोली भर प्यारे
भई अल्लाह ही अल्लाह ...
मौला ही मौला बोल

( जो तेरे दिल में खोट नहीं तो ) -२ अपने किए पे क्यों पछताना
बाँट ले दर्द किसी का जग में और यहाँ से क्या ले जाना
( जब तक साफ़ है दिल का शीशा ) -२ दुनिया से ना डर प्यारे
भई अल्लाह ही अल्लाह ...
मौला ही मौला बोल

क्या जाने कब सपने टूटें उजड़ जाए ख़ुशियों का मेला
कब ये क़िस्मत छोड़ दे तुमको ला के दोराहों पे अकेला
( कितने मोड़ अभी हैं बाकी ) -२ किसको है ये ख़बर प्यारे
भई अल्लाह ही अल्लाह ...
मौला ही मौला बोल

कभी-कभी इस दुनिया में यारों ऐसे फ़रिश्ते भी आते हैं
किसी को अपना सब कुछ दे कर खाली हाथ चले जाते हैं
( जैसे सुख की छाया देकर ) -२ बादल जाए बिखर प्यारे
भई अल्लाह ही अल्लाह ...
मौला ही मौला बोल

Comments/Credits:

			 % Comments: Based on a novel by Nanak Singh
		     
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