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aapakii mahakii hu_ii zulf ko kahate hai.n ghaTaa

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य: आप की महकी हुई ज़ुल्फ़ को कहते हैं घटा
य: आप की मदभरी आँखों को कँवल कहते हैं
ल: मैं तो कुछ भी नहीं तुम को हसीं लगती हूँ
ल: इस को चाहत भरी नज़रों का अमल कहते हैं

य: एक हम ही नहीं सब देखने वाले तुम को
य: सन्ग-ए-मर्मर पे लिखी शोख़्ह ग़ज़ल कहते हैं
ल: ऐसी बातें न करो जिन का यक़ीं मुश्किल हो
ल: ऐसी तारीफ़ को नियात का ख़्हलल कहते हैं

य: मेरी तक़दीर कि तुम ने मुझे अपना समझा
ल: मेरी तक़दीर कि तुम ने मुझे अपना समझा
य, ल: इस को सदियों की तमन्नाओं का फल कहते हैं - २

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			 % Transliterator: Nita Awatramani
		     
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