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aaj ronaa pa.Daa to samajhe

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(आज रोना पड़ा तो समझे
हँसने का मोल क्या है
अपना सपना खोना पड़ा तो समझे ) - २

ख़्वाबों की हक़ीक़त क्या थी
अरमानों की क़ीमत क्या थी
अपनों की मुहब्बत क्या थी
ग़ैर होना पड़ा तो समझे

आज रोना पड़ा तो समझे ...

सुख मिलता है किस मुश्किल से
क्या करती है दुनिया दिल से
इस रन्ग भरी महफ़िल से
दूर होना पड़ा तो समझे

आज रोना पड़ा तो समझे ...

निकले थे जिन्हें अपनाने
वो लोग थे सब बेगाने
इस बात को हम दीवाने
चैन खोना पड़ा तो समझे

आज रोना पड़ा तो समझे
हँसने का मोल क्या है
अपना सपना खोना पड़ा तो समझे

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Hrishi Dixit 
% Date: October 27, 1999 
% Comments: Geetanjali series
		     
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