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aaise hai.n sukh sapan hamaare

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ऐसे हैं सुख सपन हमारें २
बन बन कर मिट जाते जैसे
बालू के घर नदी किनारे
ऐसे हैं सुख सपन हमारे

लहरें आती बह बह जाती
रेखाएं बस रह रह जाती
जाती लहरें कह कह जाती
जाते पल को कौन पुकारे
ऐसे हैं सुख सपन हमारे

ऐसी इन सपनों की माया
जल पर जैसे चाँद की छाया
चाँद किसी के हाथ न आया
छाहे जितना हाथ पसारे
ऐसे हैं सुख सपन हमारे

मन भर आया नैना छलके २
गालों पर दो आँसू धलके
याद किये क्युँ सपने कलके
बीते को तू क्युँ न बिसारे

ऐसे हैं सुख सपन हमारे
बन बन कर मिट जाते जैसे
बालू के घर नदी किनारे

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Vinayak K Gore
% Date: 28 Sep 2004
% generated using giitaayan
% Song Courtesy: CD given by Anant Rege at RMIM Meet at Ottawa
		     
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