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aa raat jaatii hai chupake se mil jaaye.n dono.n

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आ रात जाती है चुपके से मिल जायें दोनों
चलके कहीं अपनी आग में जल जायें दोनों

अरे आप क्यों चुप गये आईये हमारे साथ गाईये ना

मौक़ा भी है आरज़ू भी लग जा तू मेरे गले से
रंगीन सी बेख़्हुदी में हों जाम दो साथ लेके
ये बेक़रारी क मौसम ये सांस लेता अंधेरा
यूँ डाल ज़ुल्फ़ों के साये फिर ना कभी हो सवेरा
हाथों में ये हाथ लेके मचल जायें दोनों
दो रंग जैसे कि मिलते हैं मिल जायें दोनों

आ रात जाती है चुपके से मिल जायें दोनों
चलके कहीं अपनी आग में जल जायें दोनों

प्याले में क्या है मुझे तो अपने लबों की पिला दे
बुझ ना सकी जो उमर भर वो प्यास तू ही बुझा दे
नज़दीक तू इतनी आ जा सीने में पड़ जाये हलचल
देके बदन का सहारा मुझको उड़ाये लिये चल
खो जायें ऐसे कि फिर न संभल पायें दोनों
तडपें कुछ आज इस तरह से बहल जायें दोनों

आ रात जाती है चुपके से मिल जायें दोनों
चलके कहीं अपनी आग में जल जायें दोनो.

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			 % Date: 7 Sep 2003
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