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aa jaa re paradesii, mai.n to kab se kha.Dii is paar

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आ जा रे ऽऽऽ परदेसी
मैं तो कब से खड़ी इस पार
ये अँखियाँ, थक गई पंथ निहार
आ जा रे, परदेसी

(तुम संग जनम जनम के फेरे
भूल गये क्यूँ साजन मेरे ) - २
तड़पत हूँ मैं सांझ सवेरे, ओ ...
आ जा रे, मैं तो कब से खड़ी इस पार ...

(मैं नदिया फिर भी मैं प्यासी
भेद ये गहरा बात ज़रा सी ) - २
बिन तेरे हर रात उदासी, ओ ...
आ जा रे, मैं तो कब से खड़ी इस पार ...

मैं दिये की ऐसी बाती
जल न सकी जो बुझ भी न पाती
आ मिल मेरे जीवन साथी, ओ ...
आ जा रे, मैं तो कब से खड़ी इस पार ...

Comments/Credits:

			 % Credits: Bijal C. Modi (bijal@fission.Nuc.Berkeley.EDU)
%          Kedar Nahade (ksn2@Lehigh.EDU)
%          Preetham Gopalaswamy (preetham@src.umd.edu)
% Editor: Anurag Shankar (anurag@astro.indiana.edu)
		     
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