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vaqt se din aur raat

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वक़्त से दिन और रात
वक़्त से कल और आज
वक़्त की हर शै ग़ुलाम
वक़्त का हर शै पे राज

वक़्त की पाबन्द हैं
आती जाती रौनकें
वक़्त है फूलों की सेज
वक़्त है काँटों का ताज
वक़्त से दिन और रात ...

आदमी को चाहिये
वक़्त से डर कर रहे
कौन जाने किस घड़ी
वक़्त का बदले मिज़ाज
वक़्त से दिन और रात ...

Comments/Credits:

			 % Transliterator: K Vijay Kumar
% Credits: Satish Kalra
		     
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