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uf kitanii ThaNDii hai ye rut sulaGe hai tanahaa_ii merii

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ल : ( उफ़ कितनी ठण्डी है ये रुत
कि : सुलग़े है तनहाई मेरी
सन सन सन जलता है बदन
ल : काँपे है अंगड़ाई मेरी ) -२

ल : तुमपे भी है भारी
वो है कौन ऐसी चिंगारी
ओ तुमपे भी है भारी
वो है कौन ऐसी चिंगारी
कि : है कोई इन आँखों में
एक तुम जैसी ख़ाबों की परी

ल : उफ़ कितनी ठण्डी है ये रुत
कि : सुलग़े है तनहाई मेरी
सन सन सन जलता है बदन
ल : काँपे है अंगड़ाई मेरी

कि : ये तनहा मौसम मेहताबी
ये जलती-बुझती बेख़ाबी
ओ ये तनहा मौसम मेहताबी
ये जलती-बुझती बेख़ाबी
ल : महलों (?) में थर्रती है
एक बेताबी अरमाँ में भरी

उफ़ कितनी ठण्डी है ये रुत

ऐसे हैं दिल पे कुछ साये
धड़कन भी जल के जम जाये
ओ ऐसे हैं दिल पे कुछ साये
धड़कन भी जल के जम जाये
कि : काँपो तुम और सुलग़ें हम
ये है चाहत की जादूगरी
ओफ़

ल : उफ़ कितनी ठण्डी है ये रुत
कि : सुलग़े है तनहाई मेरी
सन सन सन जलता है बदन
ल : काँपे है अंगड़ाई मेरी

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