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raat ke sannaaTe me.n hamane kyaa kyaa dhokhe khaaye hai.n

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रात के सन्नाटे में हमने क्या क्या धोखे खाये हैं
अपना ही जब दिल धड़का तो हम समझे वो आये हैं

सूनी गलियाँ बन्द झरोखे या फिर ग़म के साये हैं
चाँद सितारे निकले हैं लेकिन मेरे लिये क्या लाये हैं

जिस दिन से तुम बिछड़ गये ये हाल है अपनी आँखों का
जैसे दो बादल सावन के आपस में टकराये हैं

अब तो राह न भूलोगे तुम अब तो हमसे आन मिलो
देखो हमने पलक पलक पर सौ सौ दीप जलाये हैं

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