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jahaa.N kahii.n diipak jalataa hai ... jo ik baar kah do

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जहाँ कहीं दीपक जलता है
वहाँ पतंगा भी आता है
प्रीत की रीत यही है मूरख
तू काहे पछताता है
परवाने की नादानी पर दुनिया
हँसती है तो हँसे
प्यार की मीठी आग में प्रेमी
हँसते हँसते जल जाता है

जो इक बार कह दो के तुम हो हमारे
तो बदले ये दुनिया बदलें नज़ारे
जो इक बार कह दो

आकाश में, आकाश में चाँद तारे हँसें
हमारे ही दिल में अँधेरा बसे
निगाहों की गलियों में चोरी से आके
जो तुम मुस्कुरा दो तो खिल जायें तारे
जो इक बार कह दो

सुहानी है ये, सुहानी है ये ज़िंदगी प्यार से
है मूरख जो पछताये दिल हार के
ये बाज़ी है दुनिया में सबसे निराली
जो हारे सो जीते जो जीते वो हारे
जो इक बार कह दो

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Satish Kalra
% Date: 23 Sep 2003
% Series: GEETanjali
% generated using giitaayan
		     
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